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पौराणिक समय के लोग अक्सर कहावत कहा करते थे कि मन चंगा तो कठौती में गंगा इसका मतलब यह है कि अगर आपका मन पवित्र है तो सारी दुनिया के लोग और वस्तुएं पवित्र है।

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अगर आपका मन ही पवित्र नहीं है गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं तो ऐसा करने से आप पवित्र नहीं हो जाएंगे  इसलिए यह कथन सही है लेकिन पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि स्नान करने से हमारा शरीर ठंडा हो जाता है है और मन दुरुस्त हो जाता है।

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अगर कोई इंसान थका हुआ है तो उसकी थकान दूर हो जाती है और फिर उसके बाद उस इंसान का मन किसी अन्य कामों में लगने लगता है

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स्नान करना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत में पूर्ण माना गया है क्योंकि स्नान करने से शरीर में चुपके हुए कीटाणु निकल जाते हैं जिससे शरीर ठंडा और विभिन्न रोगों से मुक्त हो जाता है।

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साइंस के अकॉर्डिंग हमारे शरीर को आवश्यक मात्रा में पानी की जरूरत होती है और स्नान करने से हमारे शरीर को पानी की पूर्ति हो जाती है।

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आयुर्वेद के अनुसार हर दिन सुबह स्नान करने (Snan karna) से कई तरह के रोग में में मदद मिलती है इसलिए आयुर्वेद के अनुसार हमें सुबह के टाइम में स्नान करना चाहिए।

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मानव स्नान -  मानव स्नान करने (Snan karna) का शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 से 8:00 के बीच का होता है इसीलिए हमें 8:00 बजे से पहले ही स्नान कर लेना चाहिए।

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