रामायण सच्ची घटना है या काल्पनिक… जानिए सच्चाई | Kya ramayan sach hai | Ramayan sach hai ya jhooth

अधिकतर लोगों के मन में यह विचार आता है कि त्रेता युग में रामायण की घटना क्या सच (kya ramayan sach hai) में हुई थी या फिर यह सब काल्पनिक है! आपके मन में भी कभी न कभी यह ख्याल जरूर आया होगा तो आज की तारीख में हम आपके इस प्रश्न का प्रमाण सहित उत्तर देने वाले है और आखिर में आपको लिखकर मिल जाएगा।

हम हिंदुओं की आस्था भगवान राम और रामायण से जुड़ी हुई है लेकिन फिर भी कुछ लोग यह प्रश्न पूछते रहते हैं कि क्या वास्तव में रामायण की कथा सच्ची (kya ramayan sach hai) है? क्या वास्तव में भगवान राम इस धरती पर आए थे? क्या सच में रावण और राम थे? ना जाने ऐसे कई प्रश्न हमारे माइंड में आते जाते रहते हैं।

रामायण काल का पुख्ता सबूत देने के लिए हम भगवान राम तथा रावण को किसी के सामने तो नहीं ला सकते लेकिन हम उनके अस्तित्व के प्रमाण आपको जरूरत दिखा सकते हैं भारत की अयोध्या नगरी और श्रीलंका में कई ऐसे प्रमाण हमें मिलते हैं जिससे हमें यह पता चलता है कि रामायण की कथा पूरी तरह से सच (kya ramayan sach hai) है।




रामायण सच्ची घटना है या काल्पनिक… जानिए सच्चाई

कोबरा हुड गुफा

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण (kya ramayan sach hai) के अनुसार जब रावण ने सीता माता का हरण करके सीता माता को श्री लंका ले जाते हैं तो रावण के द्वारा सीता माता को सबसे पहले इसे स्थान पर रखा जाता है इसी गुफा पर आपको नक्काशी के प्रमाण देखने के लिए मिलते हैं। रिसर्च के मुताबिक यह पता चलता है कि यह गुफा प्राकृतिक है गुफा पर बनी तस्वीरों से यह साबित होता है कि यह गुफा बहुत पुरानी है और जैसा वाल्मीकि द्वारा बताया गया था वैसे यह रामायण की घटना (kya ramayan sach hai) हुई।

गुफा पर बनी आकृतियों से हमें यह पता चलता है कि ऐसी रहस्यमय आकृतियां मनुष्य द्वारा बनाना मुश्किल है।




हनुमान गढ़ी मंदिर

जब भगवान राम ने लंका को जीतने के बाद अयोध्या लौटे तब हनुमान जी भगवान राम की प्रतीक्षा करने के लिए इस जगह पर विश्राम करने लगे तब से ही जगह का नाम हनुमानगढ़ी पड़ा। रामायण में जगह का उल्लेख मिलता है वर्तमान समय में अयोध्या के पास एक जगह है और उस जगह का नाम हनुमानगढ़ी मंदिर है।

 

हनुमान जी के पैर के निशान

जब हनुमान जी (kya ramayan sach hai) सागर को लाँघ कर लक्ष्मण भगवान के लिए संजीवनी बूटी के लिए जाते हैं तब उन्हें उनकी शक्तियों का आभास कराया जाता है जिन्हें वे भूल चुके थे और फिर हनुमान जी को उनकी शक्ति का आभास होता है और फिर वे अपना भव्य रूप धारण करते हैं जब हनुमान अपना विशाल रूप बनाते हैं तब उनके पैरों के निशान उस जगह पर पड़ जाते हैं और आज भी हनुमान जी के पैर के निशान उस जगह पर है।




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अगर आप हनुमान जी (kya ramayan sach hai) के पैरों के निशान देखना चाहते तो आपको हिमाचल प्रदेश में जाना होगा क्योंकि हिमाचल के शिमला के जाखू मंदिर में हनुमान जी के पैरों के निशान देखने को मिलते हैं।

 

राम सेतु

राम सेतु का वर्णन रामायण काल में मिलता है रामायण की कथाएं (kya ramayan sach hai) का सबसे बड़ा प्रमाण रामसेतु (kya ramayan sach hai) है। लंका तक पहुंचने के लिए भगवान श्री राम अपनी वानर सेना समेत समुद्र में पुल बनाने लगते हैं।




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विद्वान लोगों का कहना है कि जब वानर सेना लंका तक पहुंचने के लिए पुल बना रही थी तब पत्थर को उठाकर के सागर में राम लिख कर डालते हैं तो पत्थर सागर में भी तैरने लगता है और हम आपको बता दें कि आज भी है पुल मौजूद है।

राम सेतु का उल्लेख रामायण काल में मिलता है और रामसेतु की खोज भी की जा चुकी है राम सेतु रामायण काल की सच्चाई (kya ramayan sach hai) का पुख्ता सबूत है।

 

रावण की लंका

आपने कभी न कभी तो याद जरूर सोचा होगा कि क्या सच में श्रीलंका रामायण काल में सोने की लंका हुआ करते थे? या फिर यह सब काल्पनिक कहानी है। हम आपको बता दें कि आज भी श्रीलंका में रावण के महल के कुछ ऐसे अवशेष मौजूद है सोने की लंका के होने का प्रमाण देती है। श्रीलंका के इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर रामायण काल से जुड़े ऐसे 50 साल सल खोज लिए है जिनका वर्णन रामायण काल में भी मिलता है।



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