Yug in hindi: सत्ययुग, द्वापरयुग, त्रेता और कलियुग क्या है? क्या ये हमेशा रहते हैं या हजारों लाखों वर्ष के बाद इनका आगमन होता है?

Yug in hindi: सत्ययुग, द्वापरयुग, त्रेता और कलियुग क्या है? क्या ये हमेशा रहते हैं या हजारों लाखों वर्ष के बाद इनका आगमन होता है? वेद पुराणों के मतानुसार हजारों लाखों वर्षों के बाद युग (yug in hindi) परिवर्तन होता है। किन्तु प्राचीनकाल के विद्वानों की विद्वता का इतनी आसानी से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने मनुष्यों के लिए वर्ण व्यवस्था का प्रतिपादन किया।



वर्ण व्यवस्था में चार वर्ण बना-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। एक-एक युग (yug in hindi) में एक-एक वर्ण का शासन होना है।

सर्वप्रथम सत्ययुग रहा जिसमें ब्राह्मणत्व चरम सीमा पर था अर्थात् वह ऋषि-मुनियों, ब्राह्मणों का समय था। उस समय जप-तप, पूजा-पाठ और वैदिक नियमों का लोग पूर्ण रूप से पालन करते थे चाहे वह किसी जाति का व्यक्ति हो।

धीरे-धीरे समय बदलता गया और ब्राह्मणत्व में थोड़ी कमी आयी और क्षत्रिय वंश में बड़े-बड़े वीरों की उत्पत्ति हुई।

क्षत्रिय वीरों का कार्यकाल आया जिसे दूसरे युग के नाम से जाना गया, फिर तीसरे युग (yug in hindi) का कार्यकाल अर्थात् वैश्यों की अधिकता हुई।

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कलयुग

वैदिक रीति-रिवाजों में दिन-प्रतिदिन कमी आती गयी। इस समय कलयुग चल रहा है। कलयुग को शूद्रों का युग (yug in hindi) कहा गया है।

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प्राचीन ऋषि- महर्षियों और विद्वानों ने यह बात पूर्व काल में ही कह दिया था कि कलयुग में शूद्रों का राज्य होगा जिसे आप स्वयं देख रहे हैं यह लिखने की बात नहीं है। युग (yug in hindi) जिसे सत्ययुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग का नाम दिया गया वह कर्म की प्रधानता के काल को कहा गया जिस काल (समय) में जिसकी प्रधानता रही उसी के अनुरूप नामकरण हुआ। दिन-प्रतिदिन होते परिवर्तन को देखकर हजारों साल पहले ही विद्वानों ने निर्धारण कर दिया था।




पृथ्वी लोक में ही है तीनों युग

अगर देखा जाये तो हर मनुष्य के साथ सत्ययुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग (yug in hindi) भ्रमण कर रहा है।

सतयुग

गले से ऊपर मस्तक (सिर) को ब्राह्मण अर्थात् बुद्धि ज्ञान का भण्डार कहते हैं जहाँ ‘ब्रह्म’ (ईश्वर) का निवास होता है और जहाँ ब्राह्मण होता है वही सत्ययुग (yug in hindi) होता है।

द्वापर युग और त्रेता युग

गले के नीचे कन्धे, बाजुओं और छाती वाले हिस्से में क्षत्रियत्व होता है।

क्षत्रिय का निवास जहाँ होता है वहां त्रेतायुग होता है उसके बाद कमर का हिस्सा वैश्य का होता है। वैश्य के साथ द्वापरयुग निवास करता है और फिर बारी आती है शूद्र युग (yug in hindi) अर्थात् कलयुग की।

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इसमें ब्राह्मणत्व, क्षत्रियत्व और वैश्य की प्रधानता नहीं बल्कि शूद्र प्रधान (मुख्य) हैं। इस तरह चारों युग (yug in hindi) हर समय विद्यमान (मौजूद) है।




निष्कर्ष

वैसे तो हजारों करोड़ों वर्ष के बाद युग (yug in hindi) बदलते रहते हैं और फिर एक के बाद एक नए युग आते रहते हैं सतयुग, सतयुग के बाद द्वापर युग और द्वापर युग के बाद त्रेता युग आता है और त्रेता युग की बात कलयुग आता है लेकिन विद्वान लोगों का इतना कहना है कि इस कलयुग में आपको सभी युगों का एहसास हो जाएगा। आप जो भी कर्म कलयुग में करोगे उसका फल भी आपको इस युग (yug in hindi) में मिलेगा। इसके कई उदाहरण आपको कलयुग में मिल सकते हैं इसीलिए तो विद्वान लोग कहते हैं कि कलयुग में हमें अच्छे कर्म करने चाहिए।

 

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