Aarti ke niyam – आरती करते समय ये बातें ध्यान रखें वरना हो सकता है अनर्थ। हिंदू धर्म में आरती का बहुत अधिक महत्व माना गया है। हिंदू धर्म के लोगों की मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म के मंदिरों और पूजा गृह में हर दिन सुबह शाम आरती की जानी चाहिए।
पौराणिक शास्त्रों में भी आरती के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है लेकिन मनुष्य एक ऐसा अवतार है जिससे जाने अनजाने में कोई ना कोई गलती हो ही जाती है।
आरती करते समय हम इंसानों से कोई न कोई गलती हो ही जाती है और उसका नतीजा हमें फिर बाद में भुगतना पड़ता है तो अगर आप भी चाहते हैं कि आरती करते समय आपसे कोई भी गलती ना हो तो इसके लिए आपको हमारे द्वारा बताए गए कुछ स्टेप्स का अनुसरण करना होगा जिससे हमें बाद में कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
आइए जानते हैं की आरती करते समय हमें कौन इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और कौन-कौन सी गलतियां नहीं करना चाहिए तो आइए उन दिलचस्प बातों के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं –
आरती करने का तरीका – aarti karne ke niyam
आरती करते समय हमें इस बात की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए कि हमें आरती की थाली को कितने बार घुमाना है। शास्त्रों में बताया गया है कि हमें आरती की थाली को कितनी बार घुमाना चाहिए अर्थात दीपक की थाली को घुमाने की संख्या के बारे में बताया गया है।
आरती करते समय सबसे पहले आपको आरती की थाली को दीपक की सीधी दिशा में चार बार घुमाना चाहिए उसके बाद आपको 2 बार भगवान की नाभि के पास घुमाना चाहिए और फिर उसके बाद 7 बार भगवान के मुंह की आरती करनी चाहिए।
आरती करने के नियम – aarti karne ke niyam
- आपको हमेशा आरती दाएं हाथ से ही करना चाहिए।
- भगवान की आरती हमेशा एक ही स्थान पर ही खड़े होकर करना चाहिए।
- जब कोई आरती कर रहा हो तो उसके ऊपर से हाथ नहीं घुमाना चाहिए।
- भगवान की आरती करते समय थोड़ा झुककर आरती करना चाहिए।
- आरती करने से पहले कर्पूर गौरम वाला मंत्र बोलना चाहिए।
- जब आरती हो रही हो तब आरती के बीच में हंसना, बोलना, चीखना, चिल्लाना जैसी अनावश्यक हरकतें नहीं करना चाहिए।
आरती लेते समय यह ध्यान रखें – aarti karne ke niyam
आरती होने के बाद आपको आरती दोनों हाथों से लेनी चाहिए। आरती लेने के बाद उसे अपने चेहरे पर लगाएं या फिर सिर के ऊपर से घुमाए हमें ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि आरती की ज्योति में भगवान की शक्तियां समाहित होती है और जब हम आरती लेकर अपने चेहरे पर या फिर सिर पर घुमाते हैं तो हमें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विद्वान लोगों का कहना है कि जब हम आरती करते हैं और उसमें कोई भूल चूक या गलतियां हो जाती है तो हमारे द्वारा आरती लेने के बाद भगवान उन गलतियों को माफ कर देते हैं और हमें आशीर्वाद भी देते हैं।
आरती में इन बातों का ध्यान रखें – aarti karne ke niyam
- आरती करते समय हमेशा आरती को दक्षिणावर्त अर्थात जिस दिशा में घड़ी घूमती है ठीक वैसे ही आरती घुमानी चाहिए।
- आरती में दीपक की व्यवस्था कुछ ऐसे रखे जिससे कि आरती की पूरी थाली प्रज्वलित हो सके।
- आरती कभी भी बैठकर नहीं करना चाहिए।
- आरती के दीपक में घी और तेल को मिलाकर दीपक तैयार नहीं करना चाहिए। आप को आरती के दीपक में केवल तेल से ही दीपक बनाना चाहिए या फिर घी को ही दीपक में डालना चाहिए।
- आरती करते समय किसी और के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
- आरती करते समय आरती में आप जो बोल रहे हैं उसका सही उच्चारण होना चाहिए।
- आरती करते समय अपना पूरा ध्यान भगवान की आरती में लगाना चाहिए और अपने फोन वगैरह को साइलेंट करके रख लेना चाहिए।
आरती करने का सही समय
वैसे तो आरती करने का कोई समय निश्चित नहीं किया गया है लेकिन अक्सर घरों में आरती दो बार एक बार सुबह दूसरी बार संध्या के समय की जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि श्याम की आरती 5 से 7 बजे के बीच में कर लेनी चाहिए।
मंदिर में भगवान की आरती 5 बार की जाती है
भगवान की पहली आरती जब भगवान नींद से जागते तब की जाती है ब्रह्म मुहूर्त (4-5 बजे) में की जाती है।
भगवान की दूसरी (8-10 बजे) आरती भगवान को स्नान कराने तथा भोग लगाने के लिए की जाती है।
भगवान की तीसरी आरती दोपहर (2-3 बजे) में की जाती है जब काम कर रहे होते है सब भगवान की तीसरी आरती की जाती है।
भगवान की चौथी आरती भगवान के विश्राम करने के बाद (5-7 बजे) की जाती है।
भगवान की पांचवी आरती तब की जाती है जब भगवान सोने जाते हैं 9-10 बजे की जाती है।
आरती करने के फायदे – aarti karne ke niyam
- पूजा करने के बाद पूजा आराधना करने में जो भी कमियां रह जाती है वह सारी कमियां आरती करने से पूरी हो जाती है।
- आरती की थाली में दीपक की लौ प्रज्वलित की जाती है तब दीपक की रोशनी थाली में चारों तरफ प्रज्वलित होती है सकारात्मक ऊर्जा बहती होती है और ऐसा करना सुबह और फलदाई भी माना जाता है।
- आरती की थाली में दिए को घी से प्रज्वलित करने से और बजाने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है।
- आरती करने से भगवान के प्रति भक्ति की भावनाएं जागृत होती है।
- शास्त्रों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति घी के दीपक से आरती करता है तो उसे स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है।
- आरती करने के बाद कपूर को प्रज्वलित करने से आपने आसपास के वातावरण का शुद्धिकरण होता है।
निष्कर्ष – Aarti Karne Ke Niyam | Aarti Kaise Kare
आरती करते समय तथा आरती करने के बाद आपको किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए इस लेख में हमने Aarti Karne Ke Niyam – आरती करते समय ये बातें ध्यान रखना चाहिए और Aarti Kaise Kare तथा Aarti Karne Ka Sahi Tarika क्या है इसके बारे में आपको विस्तारपूर्वक समझाया है। आशा करता हूं कि आप अगली बार से आरती करते समय और आरती करने के बाद हमारे द्वारा बताई गई बातों पर अमल करेंगे और भगवान का आशीर्वाद तथा पुण्य प्राप्त करेंगे।