Saat ajube: दुनिया के सात अजूबे जानकार रह जाएंगे हैरान 2025 – Saat ajube in world

Saat ajube: दुनिया के सात अजूबे जानकार रह जाएंगे हैरान 2025 – Saat ajube in world 

दुनिया के सात अजूबे प्राचीन काल से ही हमारी दुनिया में फेमस रहे हैं दुनिया के सात अजूबे के बारे में सबसे पहले विचार हेरोडोटस और विद्वान कल्लिमचुस को वर्तमान दौर से लगभग 2200 वर्ष पहले आया था…

इन दोनों महान वैज्ञानिकों की वजह से ही आज हम दुनिया के सात अजूबे के बारे में जानते हैं वैसे तो इन सात अजूबे में से 6 अजूबे अब नहीं है फिलहाल तो अब केवल एक ही अजूबा सुरक्षित है जिसका नाम है गिजा का पिरामिड।

अगर आपको भी हमारी दुनिया के सात अजूबे के बारे में नहीं पता है तो आज के इस लेख में हम आपको दुनिया के सात अजूबे के बारे में विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं साथी साथ हम इन सात अजूबे के प्राचीन इतिहास के बारे में भी बताने वाले है..तो चलिए फिर बिना देरी करते हुए जानते हैं –

दुनिया के सात अजूबे

वैसे तो हमारी दुनिया में कई छोटे-बड़े प्रकृति के अजूबे मौजूद है जो देखने में काफी दिलचस्प लगता है।

दुनिया के सात अजूबे प्राचीन काल से निर्मित है कुछ लोगों का कहना है कि कुछ अजूबे एलियन द्वारा बनाया गया है लेकिन एलियन के होने का पुख्ता सबूत अभी तक किसी को नहीं पता है इसीलिए ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि प्राचीन काल में यह सात अजूबे प्रकृति द्वारा ही ऑटोमेटिक निर्मित किए गए होंगे।

 चलिए अब हम दुनिया के सात अजूबे की लिस्ट आपको दिखाते हैं –

1. चीन की दीवार

 दुनिया के सात अजूबे में से एक अजूबा चीन की दीवार है हम आपको बता दें कि चीज दीवार बनाने में लगभग 1100 साल लग गए थे। चीन की दीवार को चीन के शासकों द्वारा पांचवी शताब्दी से लेकर 1600 शताब्दी तक बनाया गया था। चीन की दीवार की ऊंचाई लगभग 35 फीट तथा कुल लंबाई 6400 किलोमीटर है।

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Chin ki divar

 चीन की दीवार चीन के पूर्वी से पश्चिमी हिस्से तक फैली हुई है और इसे चीन के शासक किन शी हुआंग के द्वारा किया गया था।

 चीन की दीवार बनाने के पीछे मुख्य वजह उत्तरी शासकों से अपनी रक्षा करना था।

 चीन की दीवार को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है क्योंकि चीन की दीवार दुनिया की सबसे बड़ी दीवार है इसीलिए इसे चीन की दीवार कहते हैं।

 चीन की दीवार की लंबाई की वजह से यह दुनिया भर में प्रसिद्ध है लेकिन इसके पीछे की दिलचस्प कहानियां चीन में काफी फैली हुई है। चीन की दीवार बनाने के लिए 20 से 3000000 लोगों ने अपना पूरा जीवन दाव पर लगा दिया।

1970 से चीन की दीवार देखने के लिए पर्यटक को आने की अनुमति दी जाने लगी। युनेस्को द्वारा 1980 में चीन की दीवार को विश्व धरोहर घोषित कर दिया था। चीन की दीवार पूरे विश्व में चीन का नाम आज भी रोशन करती है।

2. चिचेन इत्ज़ा

चिचेन इत्ज़ा, मैक्सिको में स्थित एक पौराणिक मंदिर है चिचेन इत्ज़ा का सबसे बड़ा रहस्य साल में दो बार सांप के जैसी आकृति बनाते हुए चिचेन इत्ज़ा पर एक अजीब छाया का गिरना लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।

चिचेन इत्ज़ा को माया सभ्यता ने नौवीं से बारहवीं शताब्दी के बीच में बनाया था। हम आपको बता दें कि चिचेन इत्ज़ा का मतलब कोई के किनारे होता है और जब कोई व्यक्ति चिचेन इत्ज़ा में एक बार ताली बजाता है तो 9 बार ताली की आवाजें गूंज कर वापस आती है। कुछ लोग ऐसा भी कहते हैं कि चिचेन इत्ज़ा से बड़ी अजीब आवाजें भी आती है।

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Chichen itza

चिचेन इत्ज़ा की खोज 514 A.D में लकिन चैन पादरी द्वारा की गई थी।

माया शासकों ने चिचेन इत्ज़ा को अपना घर ही बना लिया था वहाँ पर माया शासक धार्मिक कार्यक्रम किया करते थे।

रिसर्च के मुताबिक हम पता चलता है कि चिचेन इत्ज़ा के नीचे खंडहरों में कई कलाकृतियों से भरी हुई गुफाएं है और यह भी पता चलता है कि इस मंदिर से चिड़िया की आवाजें आती है।

3. पेट्रा
पेट्रा जॉर्डन के दक्षिण प्रांत में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है पेट्रा नगरी पत्थरों से तारासी गई इमारतों और जलवायु प्रणालियों के लिए पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है इसलिए पेत्रा को दुनिया के सात अजूबे में शामिल किया गया।

Petra
Petra

यूनेस्को ने 1985 में विश्व धरोहर घोषित किया। पेट्रा की पहले खुदाई 1929 में की गई तथा 2007 में पेट्रा को दुनिया के सात अजूबे में शामिल किया गया।

ऐसा कहा जाता है कि पेट्रा के लगभग 15% भाग की खोज अभी तक की गई लेकिन इसका 85% भाग अभी भी भूमि के अंदर ही है।

इतिहास में पेट्रा की शुरुआत छठवीं शताब्दी में हुई नाबातियन शासकों की प्रसिद्ध राजधानी पेट्रा थी। पेट्रा की स्थापना नाबातियन शासकों ने 312 ईसा से पहले किया था।

रिसर्च से हमें यह पता चलता है कि नाबातिय लोगों ने पेट्रा शहर की स्थापना सूर्य की खगोलीय गतिविधियों को खोजने के लिए किया था। पेट्रा का रंग रोज रेड होने की वजह से तथा पेट्रा पहाड़ियों के बीच होने के कारण ‘रोज सिटी’ भी कहते हैं।

4. ताजमहल

ताजमहल ऐतिहासिक धरोहर है जिसे लोग प्यार के निशानी मानते हैं ताजमहल भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा में स्थित है। ताजमहल को 1632 से 1653 ईसवी के बीच में बनाया गया।

tajmahal
tajmahal

मुगल साम्राज्य के राजा शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था। दरअसल ताजमहल संगमरमर के पत्थर से बनाया गया था इसीलिए यह पूरी तरह से सफेद है ताजमहल एक अनोखी कलाकृति से बनाया गया है जिसे देखने पर दिलचस्प अनुभूति होती है। ताजमहल के चारों तरफ गार्डन बना हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग 73 मीटर है।

अब आपके माइंड में एक प्रश्न आता होगा कि उस समय में जब ताजमहल बनाया गया था अर्थात 1632 ईस्वी में ताजमहल का निर्माण कैसे हुआ होगा? क्योंकि उस टाइम पर सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था। हम आपको बता दें कि ताजमहल को बनाने के लिए सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था।

ताजमहल को बनाने के लिए एक विशेष प्रकार के पेस्ट का इस्तेमाल किया गया था। संगमरमर के पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए पेस्ट बनाया जाता था। पेस्ट बनाने के लिए दाल, गुड, जुट, बतासे और बेलगिरी के पानी का इस्तेमाल किया जाता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह पेस्ट सीमेंट से भी ज्यादा मजबूत होता है।

5. कोलोसियम
इटली के रोम शहर में प्राचीन काल के रोमन के जमाने में कोलोसियम को बनाया।

colosseum
colosseum

हम आपको बता दें कि कोलोसियम का असली नाम फ्लेवियन एम्फीथिएटर है और इसको एक अंडकार आकार में बनाया गया था। कोलोसियम का निर्माण तत्कालीन शासक वेस्पियन ने 70 से 72 ईस्वी में किया था। कोलोसियम को धार्मिक कार्यक्रमों, कार्यशाला तथा पर्यटक स्थलों के रूप में प्रयोग किया जाता था। कोलोसियम के नीचे सुरंगे है।

कोलोसियम में लगभग 50,000 से अधिक दर्शकों के लिए बैठने की जगह है। कोलोसियम में घुड़सवारी तथा अन्य प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। वर्ष 2007 में कोलोसियम को सात अजूबों की लिस्ट में शामिल किया गया। कोलोसियम को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया।

6. माचू पिच्चू
माचू पिच्चू एक पवित्र तथा खूबसूरत स्थान है जो कि जंगलों के बीच पर्वती क्षेत्र पर स्थित है। माचू पिच्चू की समुद्र तल से ऊंचाई 2403 मीटर है।

माचू पिच्चू दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में स्थित है। 1981 में माचू पिच्चू को दुनिया का ऐतिहासिक पवित्र स्थान घोषित किया गया। 1983 में यूनेस्को द्वारा माचू पिच्चू पूरे विश्व की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में घोषित किया गया।

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maachu pichu

माचू पिच्चू पीरु में सबसे अधिक बार देखे जाने वाला पर्यटन स्थल है वर्ष 2007 में माचू पिच्चू को दुनिया के सात अजूबों में से एक अजूबा माना गया है।

माचू पिच्चू को 1450 से 1540 के मध्य में बनाया गया। माचू पिच्चू को बनाने में लगभग 90 वर्ष का टाइम लगा।

माचू पिच्चू सूर्य का पवित्र मंदिर है
माचू पिच्चू ऊंचे पर्वत शिखर पर एक खूबसूरत ऐतिहासिक पवित्र मंदिर है इसीलिए माचू पिच्चू पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

माचू पिच्चू का मतलब पुरानी चोटी है यह उरूबाम्बा घाटी पर स्थित है जहां उरुबाम्बा नदी बहती है।

क्राइस्ट दी रिडीमर

क्राइस्ट दी रिडीमर ब्राजील के रियो डी जेनेरो में स्थित प्रभु ईसा मसीह की एक विशाल प्रतिमा है क्राइस्ट दी रिडीमर को पूरी दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा आर्ट डेको स्टैच्यू माना जाता है।

प्रभु ईसा मसीह की प्रतिमा की लंबाई लगभग 39 मीटर तथा 30 मीटर चौड़ी है। 1922 से 1931 ईस्वी के मध्य में प्रभु ईसा मसीह की इस विशाल मूर्ति को बनाया गया था।

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christ the redeemer

ब्राजील के रियो डी जेनेरो में पहाड़ों पर प्रभु ईसा मसीह की विशाल मूर्ति स्थित है। यह पूरे विश्व की दूसरे नंबर की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इस प्रतिमा का वजन 365 मेट्रिक टन है।

कोर्कोवाडो की चोटी पर स्तिथि प्रभु ईसा मसीह की प्रतिमा बनाने का सबसे पहले विचार 1850 ईसवी में सुझाया गया था। पेट्रो मारिया बोस ने राजकुमारी इसाबेल से एक विशाल प्रतिमा बनाने के लिए कहा था।

वर्ष 2007 में ब्राजील के रियो डी जेनेरो में स्थित ईसा मसीह की विशाल प्रतिमा को पूरी दुनिया के सात अजूबे में से एक अजूबा घोषित किया गया।

ईसा मसीह की मूर्ति के सिर पर तथा दोनों भुजाओं पर कई तड़ित चालक है जो बिजली से मूर्ति की रक्षा करता है।

 

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