Brahmand: क्या सच में ब्रह्मांड तेजी से फैल रहा है? – Brahmand In Hindi | Universe Scale

Brahmand: क्या सच में ब्रह्मांड तेजी से फैल रहा है? – Brahmand In Hindi वैज्ञानिकों ने हमें बताया कि ब्रह्मांड दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा है और ब्रह्मांड के बढ़ाने की सीमा का कोई अंत नहीं है अर्थात हमारा ब्रह्मांड अनंत है।

हम साधारण इंसान की सोच से भी परे है ब्रह्मांड और ब्रह्मांड की शक्तियां। ब्रह्मांड इतनी तेजी से फैल रहा है जिसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

ब्रह्मांड के लगातार फैलने का प्रमाण वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है तो आईए जानते हैं ब्रह्मांड के लगातार फैलने की सच्चाई के बारे में जिसे जानने के बाद आपके रोगटे खड़े हो जाएंगे।

Brahmand
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बिग बैंग का सिद्धांत

बिंग बैंग जैसे टॉपिक कि बात जब आती है तब हमारे कान , दिमाग एक दम से एक्टिव हो जाते है और होंगे भी क्यों नहीं।यहां हर कोई इस संसार के बारे में जानना चाहता है । जो की इतना अदभुत है कि हमे सोचने पर मजबूर कर देता है। हम उसी जिज्ञासा के साथ इस उत्तर को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है।

दोस्तो, जैसे की आप जानते है कि हमारा यूनिवर्स एक बिगबैंग से शुरू हुआ था और उससे जो एनर्जी निकली उसमे जीवन को बनाने की इतनी संभावता थी कि उस एनर्जी की वजह से आज भी यूनिवर्स फैल रहा था। पर क्या सच में यूनिवर्स फैल रही है , जैसे कि हमने पढ़ा था , और हमे बताया गया है । जी हां यूनिवर्स अब भी फैल रहा है।

क्या यूनिवर्स अब भी फैल रहा है?

बिगबैंग के बाद से अब तक लगातार फैल रहा है पर जैसे की कहा गया है यूनिवर्स अब भी फैल रहा हैं तो इसके बारे में अगर बात की जाए तो , यदि यूनिवर्स फैल रहा होता तो हमारे सोलर सिस्टम के प्लैनेट एक दूसरे से क्यों दूर नहीं जा रहे हैं?
यही प्रमाण है कि यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा। वैज्ञानिक कहते है कि जब कोई लाईट किसी जगह से आती है , तो वह हमारे उपकरणों तक आते आते उनके बीच बेहद सी रुकावटें आ जाती है जिसके कारण यहां जो लाईट या फिर एनर्जी होती है, वो अपनी एनर्जी यहां तक आते आते ही खो देती है

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और इस लिए उस एनर्जी की क्षमता के कम होने के कारण हमे लाईट के आंकड़ों में ग्राफिकल बदलाव दिखते है , और एनर्जी कम हो जाने के कारण हमे लाईट की फ्रीक्वेंसी कम होती दिखाई पड़ती है

और यही कारण था कि जब स्पेस से आने वाली लाईट की कम होती फ्रीक्वेंसी को देखते हुए उस वक्त उन साइंटिस्टों ने ये अंदाजा लगाया की यूनिवर्स फैल रहा है पर जैसे कि मैंने कहा था की हम हर दिन एक नई खोज से पुराने खोजों के परिणामों को सही दिशा देते है और किसी सवालों के पीछे की सच्चाई को सामने लाते है तो हमारी वैदिक फिजिक्स के हिसाब से यूनिवर्स फैल नहीं रहा है , बल्कि किसी सोर्स से आने वाली लाईट के बीच की रुकावटों के वजह से कम होने वाली लाईट फ्रीक्वेंसी के कारण ये अंदाजा लगाया कि हमारा यूनिवर्स फैल रहा है।
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